क्रिप्स मिशन का भारत आगमन - मार्च, 1942


क्रिप्स मिशन का भारत आगमन - मार्च, 1942



भारत सरकार अधिनियम 1935 का भारत के सभी राजनीतिक दलों ने एकमत से आलोचना की थी। इसलिए इस अधिनियम द्वारा जिस संघीय सरकार की स्थापना की जानी थी, उस सरकार की स्थापना न हो सकी,  और केंद्रीय प्रशासन भारत सरकार अधिनियम 1919 के अनुसार ही चलता रहा। भारत सरकार अधिनियम 1935 का प्रांतीय प्रशासन से संबंधित भाग सन 1937 में प्रवर्तन में आया। शासन में भाग लेकर विरोध करने के लिए सभी राजनीतिक दलों ने सन 1937 में होने वाले निर्वाचन में भाग लेने का निश्चय किया। सन 1937 के चुनाव में भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस को कई प्रांतों में बहुमत प्राप्त हुआ और उसने वहां सरकारें भी बनाई। चुनाव के बाद बनाए गए मंत्रिमंडल भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के  आपसी मतभेदों और अन्य राजनीतिक दलों के विरोध के कारण अच्छी तरह से कार्य नहीं कर पाए। इसी समय द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ने  के कारण ब्रिटिश सरकार ने बिना भारतीय विधानमंडल की सहमति से भारत को भी इस महायुद्ध में शामिल होने की घोषणा कर दी। इसलिए  युद्ध के विषय पर कांग्रेस ने मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया। भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस ने अपनी कार्यकारिणी समिति में यह घोषणा की कि तब तक भारत इस महायुद्ध में सहयोग नहीं करेगा जब तक कि  ब्रिटिश सरकार सार्वजनिक रूप से यह घोषणा न कर दे कि युद्ध समाप्त होने पर भारत को स्वतंत्रता प्रदान की जाएगी। 

क्रिप्स मिशन का भारत आगमन - मार्च, 1942 - द्वितीय विश्व युद्ध में भारत का  सहयोग नहीं मिलने  से अंग्रेजी सरकार को यह यकीन हो गया कि  भारतीय लोगों की मांगों को ज्यादा दिनों तक उपेक्षित नहीं रखा जा सकता है। अतः तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री विन्सटन चर्चिल ने मार्च,1942 में सर स्टैफ़ोर्ड क्रिप्स के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल भारत भेजा जिसे क्रिप्स मिशन के  नाम से जाना जाता है। क्रिप्स मिशन का मुख्य उद्देश्य भारतीय नेताओं के साथ बातचीत करके भारत के संबंध में भविष्य की नीति निर्धारण करना और द्वितीय विश्व युद्ध के लिए भारतीयों का साथ-सहयोग हासिल करना था। ब्रिटिश सरकार ने क्रिप्स मिशन के प्रस्तावों के आधार पर भारत के संबंध में निम्नलिखित सुधारों की घोषणा की -
1 -  द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद एक संविधान सभा की स्थापना की जाएगी जो भारत के लिए एक नया संविधान  बनाएगी। 
2 - इस सभा में भारतीय राज्यों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाएगा। 
3 -  संविधान सभा द्वारा बनाए गए संविधान को ब्रिटिश सरकार निम्नलिखित शर्तों के आधार पर स्वीकार करेगी -
 (अ ) - ब्रिटिश भारतीय प्रांतों को यह अधिकार होगा कि अगर वे चाहें तो इस संविधान को स्वीकार करके संघ में शामिल हो जाएं या अपने लिए एक नए संविधान की रचना करें। संघीय सरकार में शामिल होने के लिए ब्रिटिश सरकार उन पर कोई दबाव नहीं डालेगी। संघीय सरकार में शामिल न होने वाले प्रांतों द्वारा नए संविधान के निर्माण कर लेने पर ब्रिटिश सरकार  उस संविधान को भारतीय संघ के संविधान के समान ही मान्यता प्रदान करेगी।  
( ब ) - सरकार और संविधान सभा के बीच एक संधि-पत्र पर हस्ताक्षर किया जाएगा। इस  संधि-पत्र में ब्रिटिश सरकार के हाथों से शासन सत्ता के हस्तांतरण से उत्पन्न समस्याओं के समाधान की व्यवस्था की जाएगी तथा सरकार द्वारा दिए गए वचनों के अनुसार जातीय और भाषा संबंधी अल्पसंख्यक वर्गों के रक्षा का प्रावधान किया जाएगा। 

4 - संविधान सभा का स्वरूप -  सर स्टैफ़ोर्ड क्रिप्स के नेतृत्व में क्रिप्स मिशन द्वारा संविधान निर्माण सभा का स्वरूप निश्चित कर दिया था।  विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद संविधान निर्माण सभा के सदस्यों का चुनाव करने के लिए प्रांतीय विधानसभाओं का चुनाव किया जाना था। संविधान सभा के सदस्यों की संख्या प्रांतीय विधानसभाओं की संख्या का 1/10  भाग से अधिक नहीं हो सकती थी। सभी प्रांतों को अपनी जनसंख्या के अनुसार प्रतिनिधि चुनने का अधिकार बहाल किया गया था। भारतीय रियासतें अपनी जनसंख्या के अनुसार संविधान सभा में अपने प्रतिनिधि भेज सकती थी। प्रांतों और भारतीय रियासतों इस प्रस्ताव पर सहमति न होने पर युद्ध समाप्ति के पहले संविधान निर्माण सभा की इस व्यवस्था में परिवर्तन किया जा सकता था। 


5 -  युद्ध काल में  भारत की प्रतिरक्षा का उत्तरदायित्व -  युद्ध काल में  भारत की प्रतिरक्षा का उत्तरदायित्व ब्रिटिश सरकार के ऊपर होगा किन्तु सैनिक, नैतिक, और भौतिक रूप के संगठन तथा सहयोग का उत्तरदायित्व भारत सरकार पर होगा। 
              क्रिप्स मिशन के प्रस्तावों  को सभी भारतीय राजनीतिक दलों ने अस्वीकार कर दिया। 
क्रिप्स मिशन के प्रस्तावों का यदि विश्लेषण किया जाय तो  यह स्पष्ट जाता है कि उसका उद्देश्य भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस , मुस्लिम लीग, भारतीय रियासतों के राजाओ और  जातीय तथा धार्मिक अल्पसंख्यकों आदि सभी वर्गों को  संतुष्ट करने का था, परन्तु क्रिप्स मिशन का प्रस्ताव किसी को भी संतुष्ट न कर सका। संविधान सभा  के सदस्य के लिए भारतीय रियासतों के प्रतिनिधियों के चुनाव के मामले से मामले से कांग्रेस संतुष्ट नहीं थी। मुस्लिम लीग को यह आपत्ति थी कि  इस प्रस्ताव से मुसलमानों को वास्तविक सुरक्षा नहीं प्राप्त होती है। भारतीय नेताओं की मांग थी कि प्रतिरक्षा विभाग में भारतीय लोगो का भी हाथ हो तथा प्रतिरक्षा विभाग मंत्रिमण्डल की मन्त्रणा पर कार्य करे परंतु सर स्टैफर्ड क्रिप्स भारतीयों की इस मांग से सहमत नहीं थे इन सभी विभिन्न मतभेदों से क्रिप्स मिशन असफल हो गया।

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

Please do not enter any spam link in the comment box.