भारत के संविधान में स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद 19-22: बोलने की स्वतंत्रता आदि के संबंध में कुछ अधिकारों का संरक्षण | Right to freedom, Article 19, Protection of certain rights regarding freedom of speech, etc.
इस पोस्ट में आपको अनुच्छेद 19 में क्या लिखा हुआ है? अनुच्छेद 19 में कितने प्रकार की स्वतंत्रता है? अनुच्छेद 19 कब निलंबित होता है? भारतीय संविधान के भाग 19 में क्या है? अनुच्छेद 19 में कितने अधिकार है? आदि इन सब प्रश्नो के उत्तर जानने को मिलेंगे
स्वतन्त्रता का अधिकार: वैयक्तिक स्वतन्त्रता के अधिकार का स्थान मूल अधिकारों में सर्वोच्च माना जाता है। "स्वतन्त्रता ही जीवन है" इस अधिकार के अभाव में मनुष्य के लिए अपने व्यक्तित्व का विकास करना सम्भव नहीं है। भारतीय संविधान के अनु० 19 से 22 तक में भारत के नागरिकों को स्वतन्त्रता सम्बन्धी विभिन्न अधिकार प्रदान किये गये हैं। ये चारों अनुच्छेद दैहिक स्वतन्त्रता के अधिकार-पत्र स्वरूप हैं। उपर्युक्त स्वतन्त्रताएँ मूल अधिकारों के आधार स्तम्भ हैं। इनमें से सात मूलभूत स्वतन्त्रताओं का स्थान सर्वप्रमुख है। अनु० 19 भारत के सब 'नागरिकों' को निम्नलिखित सात स्वतन्त्रताएँ प्रदान करता है- (क) वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रताः (ख) सभा करने की स्वतन्त्रता; (ग) संघ बनाने की स्वतन्त्रताः (घ) भ्रमण की स्वतन्त्रता; (ङ) आवास की स्वतन्त्रता (च) सम्पत्ति अर्जन, धारण और व्ययन की स्वतन्त्रता (44वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा निरस्त) (छ) पेशा, व्यवसाय, वाणिज्य एवं व्यापार की स्वतन्त्रता।
1-निर्बन्धन केवल अनु० 19 के खंड (2) से (6) के अन्तर्गत उल्लिखित आधारों पर ही लगाये जा सकते हैं। 2- निर्बन्धन युक्तियुक्त होना चाहिये। युक्तियुक्त निर्बन्धन की कसौटी (Reasonable Restriction): 'युक्तियुक्त' निर्बन्धन क्या है, यह एक कठिन प्रश्न है। निर्बन्धनों की युक्तियुक्तता का निर्धारण करना न्यायालयों का कार्य है। इस प्रकार 'युक्तियुक्त' शब्द न्यायालयों के पुनर्विलोकन की शक्ति को अत्यन्त विस्तृत कर देता है। इस प्रश्न पर विधानमण्डल का निर्णय अंतिम नहीं है। वह न्यायिक निरीक्षण के अधीन है। किन्तु निर्वन्धनों की युक्तियुक्तता को जाँचने के लिए कोई निश्चित कसौटी नहीं है। इस बात का निर्णय प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर ही किया जा सकता है। उच्चतम न्यायालय ने कुछ सामान्य नियम स्थापित किये हैं जिनके आधार पर निर्बन्धनों की युक्तियुक्तता की जाँच की जाती है। वे इस प्रकार हैं- (1) कोई निर्बन्धन युक्तियुक्त है या नहीं, इस प्रश्न पर अन्तिम निर्णय देने की शक्ति न्यायालयों को है, विधानमण्डल को नहीं।"
2- नागरिकों के अधिकारों पर लगाये गये निर्बन्धन अन्यायपूर्ण या सामान्य जनता के हितों में जितना अपेक्षित हैं उससे अधिक नहीं होना चाहिए। व्यक्तिगत हित और सामाजिक हित में सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास होना चाहिए। आवश्यक है कि लगाये गये निर्बन्धनों और उस उद्देश्य में तर्कसंगत सम्बन्ध हो जिसे कानून बनाकर विधानमण्डल प्राप्त करना चाहता है।" यह कानून को स्वेच्छाचारी और आवश्यकता से अधिक निर्बन्धन लगाने की अनुमति देता है, अतः अवैध घोषित किया जा सकता है।
(3) युक्तियुक्तता का कोई निश्चित या सामान्य मानदण्ड निर्धारित नहीं किया जा सकता जो सभी मामलों में सामान्य रूप से लागू हो सके। इसका निर्धारण प्रत्येक वाद के तथ्यों के आधार पर ही किया जाता है। यह मानदण्ड उस अधिकार की प्रकृति जिसका उल्लंघन किया गया है, लगाये गये निर्बन्धनों के अन्तर्निहित प्रयोजन, बुराई की मात्रा और उसके दूर करने की अनिवार्यता, निर्बन्धन लगाने के अनुपात में भिन्नता, समकालीन परिस्थितियों के अनुसार बदलता रहता है। न्यायिक निर्णय के लिए इन सभी बातों पर विचार करना आवश्यक है।
(10) युक्तियुक्त निर्बन्धन "निषेधात्मक (prohibitive) भी हो सकते हैं। कुछ विशेष परिस्थितियों में नागरिकों के अधिकार पर पूर्ण रोक केवल युक्तियुक्त निर्वन्धन माना जाता है। इस प्रकार खतरनाक व्यापारों के मामले में, जैसे शराब, नशीले पौधे उगाना, औरत का व्यापार करना, उस पूरे ब्यापार को देना युक्तियुक्त प्रतिबन्ध होगा। प्रत्येक नागरिक को किसी भी विधिपूर्ण वाणिज्य या व्यापार करने का पूर्ण अधिकार प्राप्त है। किन्तु इन अधिकारों का प्रयोग उसे युक्तियुक्त प्रतिबन्धों के अधीन करना होता है और उन पर ऐसे प्रतिबन्ध लगाये जा सकते हैं जिसे सरकार समाज को सुरक्षा, शान्ति-व्यवस्था एवं नैतिकता इत्यादि के लिये आवश्यक समझती है। लेकिन जहाँ प्रतिवन्ध निषेध की सीमा तक पहुँच जाता है, वहाँ न्यायालयों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि युक्तियुक्त निर्वन्धन के मानदंड को पूरा किया गया है या नहीं।
FAQ:
Q. अनुच्छेद 19 में क्या लिखा हुआ है?
Q. अनुच्छेद 19 में कितने प्रकार की स्वतंत्रता है?
Q. अनुच्छेद 19 कब निलंबित होता है?
Q. भारतीय संविधान के भाग 19 में क्या है?
Q. अनुच्छेद 19 में कितने अधिकार है?
क्रमशः.......
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