समता का अधिकार, अनुच्छेद 18, उपाधियों का अन्त | Article 18 of Indian Constitution in Hindi

समता का अधिकार, अनुच्छेद 18, उपाधियों का अन्त | Article 18 of Indian Constitution in Hindi



अनुच्छेद 18 राज्य के किसी भी व्यक्ति, चाहे वह नागरिक हो या विदेशी, की उपाधियाँ प्रदान करने से मना करता है। इस प्रकार यह अनुच्छेद भारत में ब्रिटिश शासनकाल में प्रचलित सामंतशाही परम्परा का अन्त करता है। किन्तु अनु० 18 सेना या विद्या सम्बन्धी उपाधियों को प्रदान करने की अनुमति देता है, क्योंकि उनसे व्यक्तियों में देश की सैनिक शक्ति को मजबूत करने तथा देश की प्रगति के लिए आवश्यक वैज्ञानिक विकास करने का प्रोत्साहन मिलता है।


इस अनुच्छेद का खंड (2) भारत के किसी नागरिक को किसी विदेशी सरकार से कोई उपाधि स्वीकार करने से मना करता है। खंड (3) के अनुसार कोई विदेशी व्यक्ति जो राज्य के अधीन किसी विश्वसनीय पद पर है, बिना राष्ट्रपति की सम्मति के किसी विदेशी राज्य से कोई उपाधि स्वीकार नहीं कर सकता है। यह राज्य प्रशासन से सम्बन्धित मामलों पर से सभी प्रकार के विदेशी प्रभाव को समाप्त करता है और व्यक्ति में भारत के प्रति निष्ठा की भावना का सृजन करता है।

खण्ड (4) यह उपबन्धित करता है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह नागरिक हो या विदेशी जो राज्य के अधीन किसी विश्वसनीय पद पर है, किसी विदेशी राज्य से बिना राष्ट्रपति की सम्मति के कोई उपहार, उपाधि, वृत्ति अथवा पद स्वीकार नहीं कर सकता है।

भारत सरकार प्रत्येक वर्ष गणतन्त्र दिवस पर अपने नागरिकों को 'भारत रत्न', पद्म विभूषण', 'पद्मश्री' आदि उपाधियों से विभूषित करती है। ये उपाधियां उन्हें जीवन के विभिन्न क्षेत्र में विशिष्ट योगदान देने पर प्रदान की जाती हैं।

अनुच्छेद 18 के उपबन्धों की अवहेलना करने वालों के लिए संविधान में किसी दंड व्यवस्था का उपबन्ध नहीं है। यह अनुच्छेद केवल निदेशात्मक है, आदेशात्मक नहीं। किन्तु संसद् को कानून बनाकर इन उपबन्धों की अवहेलना करने वालों के लिए दण्ड की व्यवस्था करने की पूर्ण शक्ति प्राप्त है।


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